हिन्दी वर्णमाला में मूलतः 33 व्यंजन हैं। चार व्यंजन अरबी–फारसी के
प्रभाव से आए हैँ। व्यंजन निम्नलिखित हैं –
क ख ग घ ङ (क–वर्ग)
च छ ज झ ञ (च–वर्ग)
ट ठ ड ढ ण (ट–वर्ग)
त थ द ध न (त–वर्ग)
प फ ब भ म (प–वर्ग)
य र ल व
श ष ह
क ख ग घ ङ (क–वर्ग)
च छ ज झ ञ (च–वर्ग)
ट ठ ड ढ ण (ट–वर्ग)
त थ द ध न (त–वर्ग)
प फ ब भ म (प–वर्ग)
य र ल व
श ष ह
व्यंजनों के भेद :
1. प्रयत्न और उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों के प्रकार–
(i) स्पर्श व्यंजन – ये पच्चीस हैं–
क वर्ग – क, ख, ग, घ, ङ।
च वर्ग – च, छ, ज, झ, ञ।
ट वर्ग – ट, ठ, ड, ढ, ण।
त वर्ग – त, थ, द, ध, न।
प वर्ग – प, फ, ब, भ, म।
1. प्रयत्न और उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों के प्रकार–
(i) स्पर्श व्यंजन – ये पच्चीस हैं–
क वर्ग – क, ख, ग, घ, ङ।
च वर्ग – च, छ, ज, झ, ञ।
ट वर्ग – ट, ठ, ड, ढ, ण।
त वर्ग – त, थ, द, ध, न।
प वर्ग – प, फ, ब, भ, म।
(ii) अंतःस्थ व्यंजन – ये चार हैं– य, र, ल, व।
(iii) ऊष्म
व्यंजन – ये चार
हैं– श, ष, स, ह।
(iv) लुंठित व्यंजन – र।
(v) पार्श्विक व्यंजन – ल।
(vi) अन्य संघर्षी – ख़, ग़, ज़, फ।
(vii) उत्क्षिप्त व्यंजन – ड़ और ढ़।
(v) पार्श्विक व्यंजन – ल।
(vi) अन्य संघर्षी – ख़, ग़, ज़, फ।
(vii) उत्क्षिप्त व्यंजन – ड़ और ढ़।
(viii) अनुनासिक व्यंजन – प्रत्येक वर्ग का पाँचवा वर्ण–ङ्, ञ्, ण्, न्, म्।
इनके स्थान पर अनुस्वार (ं ) व चन्द्रबिन्दु (ँ ) का प्रयोग किया जा सकता है।
(ix) संयुक्त व्यंजन – दो भिन्न व्यंजनों के मेल से बने व्यंजन, जो इस प्रकार हैं–
क्ष = क्+ष
त्र = त्+र
ज्ञ = ज्+ञ
श्र = श्+र
(ix) संयुक्त व्यंजन – दो भिन्न व्यंजनों के मेल से बने व्यंजन, जो इस प्रकार हैं–
क्ष = क्+ष
त्र = त्+र
ज्ञ = ज्+ञ
श्र = श्+र
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