हिंदी 52 वर्ण हैं, जिनमें 11 मूल स्वर वर्ण, 33 मूल व्यंजन, 2 उत्क्षिप्त व्यंजन, 2 अयोगवाह और 4 संयुक्ताक्षर व्यंजन हैं।
कुल 52 वर्ण = (11 मूल स्वर ) + (33 मूल व्यंजन ) + (2 उत्क्षिप्त व्यंजन ) + (2 अयोगवाह ) + (4संयुक्ताक्षर व्यंजन )
स्वर: स्वर वे वर्ण हैं जिनका उच्चारण करते समय वायु बिना किसी अवरोध या रूकावट के मुख से बाहर निकलती है। स्वर 11 हैं– अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
(ii) अंतःस्थ व्यंजन – ये चार हैं– य, र, ल, व।
हिन्दी वर्णमाला में मूलतः 33 व्यंजन हैं। चार व्यंजन अरबी–फारसी के प्रभाव से आए हैँ। व्यंजन निम्नलिखित हैं –क ख ग घ ङ (क–वर्ग)
च छ ज झ ञ (च–वर्ग)
ट ठ ड ढ ण (ट–वर्ग)
त थ द ध न (त–वर्ग)
प फ ब भ म (प–वर्ग)
य र ल व
श ष ह
च छ ज झ ञ (च–वर्ग)
ट ठ ड ढ ण (ट–वर्ग)
त थ द ध न (त–वर्ग)
प फ ब भ म (प–वर्ग)
य र ल व
श ष ह
व्यंजनों के भेद :
1. प्रयत्न और उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों के प्रकार–(i) स्पर्श व्यंजन – ये पच्चीस हैं–
क वर्ग – क, ख, ग, घ, ङ।
च वर्ग – च, छ, ज, झ, ञ।
ट वर्ग – ट, ठ, ड, ढ, ण।
त वर्ग – त, थ, द, ध, न।
प वर्ग – प, फ, ब, भ, म।
1. प्रयत्न और उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों के प्रकार–(i) स्पर्श व्यंजन – ये पच्चीस हैं–
क वर्ग – क, ख, ग, घ, ङ।
च वर्ग – च, छ, ज, झ, ञ।
ट वर्ग – ट, ठ, ड, ढ, ण।
त वर्ग – त, थ, द, ध, न।
प वर्ग – प, फ, ब, भ, म।
(ii) अंतःस्थ व्यंजन – ये चार हैं– य, र, ल, व।
(iii) ऊष्म व्यंजन – ये चार हैं– श, ष, स, ह।
(iv) लुंठित व्यंजन – र।
(v) पार्श्विक व्यंजन – ल।
(vi) अन्य संघर्षी – ख़, ग़, ज़, फ।
(vii) उत्क्षिप्त व्यंजन – ड़ और ढ़।
(v) पार्श्विक व्यंजन – ल।
(vi) अन्य संघर्षी – ख़, ग़, ज़, फ।
(vii) उत्क्षिप्त व्यंजन – ड़ और ढ़।
(viii) अनुनासिक व्यंजन – प्रत्येक वर्ग का पाँचवा वर्ण–ङ्, ञ्, ण्, न्, म्। इनके स्थान पर अनुस्वार (ं ) व चन्द्रबिन्दु (ँ ) का प्रयोग किया जा सकता है।
(ix) संयुक्त व्यंजन – दो भिन्न व्यंजनों के मेल से बने व्यंजन, जो इस प्रकार हैं–क्ष = क्+ष
त्र = त्+र
ज्ञ = ज्+ञ
श्र = श्+र
अघोष व्यंजन – प्रत्येक वर्ग का प्रथम एवं द्वितीय वर्ण तथा श, ष एवं स।
सघोष व्यंजन – प्रत्येक वर्ग का तीसरा, चौथा एवं पाँचवा वर्ण, सभी अन्तःस्थ तथा ‘ह’ वर्ण।
अल्पप्राण - प्रत्येक वर्ग का पहला, तीसरा और पाँचवा वर्ण, सभी अन्तःस्थ व्यंजन (य, र, ल, व) तथा सभी स्वर अल्पप्राण हैं।
(ix) संयुक्त व्यंजन – दो भिन्न व्यंजनों के मेल से बने व्यंजन, जो इस प्रकार हैं–क्ष = क्+ष
त्र = त्+र
ज्ञ = ज्+ञ
श्र = श्+र
अघोष व्यंजन – प्रत्येक वर्ग का प्रथम एवं द्वितीय वर्ण तथा श, ष एवं स।
सघोष व्यंजन – प्रत्येक वर्ग का तीसरा, चौथा एवं पाँचवा वर्ण, सभी अन्तःस्थ तथा ‘ह’ वर्ण।
अल्पप्राण - प्रत्येक वर्ग का पहला, तीसरा और पाँचवा वर्ण, सभी अन्तःस्थ व्यंजन (य, र, ल, व) तथा सभी स्वर अल्पप्राण हैं।
महाप्राण- प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा वर्ण तथा सभी ऊष्म व्यंजन (श, ष, स, ह) महाप्राण व्यंजन हैं।
नाम वर्ण
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उच्चारण स्थान
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वर्ण ध्वनि का नाम
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अ, आ, ऑ, क वर्ग एवं विसर्ग (:)
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कण्ठ
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कण्ठ्य
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इ, ई, च वर्ग, य, श्
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तालु
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तालव्य
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ऋ, ट वर्ग, र्, ष्
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मूर्द्धा
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मूर्द्धन्य
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त वर्ग, ल्, स्
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दन्त
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दन्त्य
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उ, ऊ, प वर्ग
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ओष्ठ
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ओष्ठ्य
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अं, अँ, ङ्, ञ्, न्, ण्, म्
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नासिका
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नासिक्य
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ए, ऐ
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कण्ठ-तालु
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कण्ठ-तालव्य
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ओ, औ
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कण्ठ-ओष्ठ
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कण्ठौष्ठ्य
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व, फ
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दन्त-ओष्ठ
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दन्तौष्ठ्य
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ह
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स्वर-यंत्र
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अलि जिह्वा
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