जीवन कौशल Notes 6 (From The SCERT Book)


सीखने की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा की भूमिका- सीखने की प्रक्रिया का एक सशक्त माध्यम है। इस प्रक्रिया द्वारा व्यक्ति जीवन के सामाजिक, प्राकृतिक एवं व्यक्तिक क्षेत्र में अभिप्रेरणा द्वारा ही सफलता की सीढ़ी तक पहुँच जाता है। सीखने की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा की भूमिका का वर्णन निम्नलिखित रुप में किया गया है-
@. शिक्षक को विद्यार्थियों के समक्ष कार्य से सम्बन्धित समस्त उद्देश्य रखना चाहिए जिससे सीखने की प्रक्रिया प्रभावशाली बन सकें।
@. उच्च आकांक्षाएं, स्पष्ट उद्देश्य तथा परिणामों का ज्ञान विद्यार्थी की आत्म-प्रेरणा के लिए प्रोत्साहन का कार्य करते है।
@. शिक्षक छात्रों में रुचि उत्पन्न कर ध्यान को केन्द्रित कर देता है जिससे रुचियों के बढ़ने से अभिप्रेरणा में वृद्धि होती है।
@. यदि शिक्षक विद्यार्थियों की आयु तथा मानसिक परिपक्वता के अनुरूप उन्हें कार्य दें तो सीखने की प्रक्रिया प्रभावित होगी।
@. सीखने के लिए प्रतियोगिताएँ बहुत प्रभावशाली माध्यम है। प्रतियोगिता और सहयोग लोकतान्त्रिक प्रवृत्तियों के विकास के लिये अभिप्रेरणा का मार्ग प्रशस्त करते हैं
इस प्रकार सीखने की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
विद्यालयी व्यवस्था के सन्दर्भ में समुदाय के सक्रिय सदस्यों का अभिप्रेरणा
विद्यालय व्यवस्था का संचालन एक महत्वपूर्ण विषय है। विद्यालय व्यवस्था का आदर्श स्वरूप प्रदान करने के लिये यह आवश्यक है कि विद्यालय से सम्बन्धित सभी मानवीय संसाधनों का उचित उपयोग किया जाए।


मानवीय पक्ष के उचित कार्य के लिये यह आवश्यक है कि उनको समय - समय पर अभिप्रेरित किया जाय, जिससे अपने कर्तव्य के प्रति उत्साह बना रहे। मानवीय पक्ष की उदासीनता समाप्त करने का प्रभुख साधन अभिप्रेरणा है। इसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित है-
समुदाय के सक्रिय सदस्यों का अभिप्रेरण- समुदाय में इस प्रकार के अनेक व्यक्ति होते हैं, जो धन एवं मानव शक्ति से सम्पन्न होते हैं। उन्हें विद्यालय से जोड़ने के लिये विद्यालय कार्यक्रमों में आमन्त्रित किया जाय तथा मुख्य अतिथि का पद प्रदान किया जाय। शिक्षा के महत्व एवं विद्यालय की समस्याओं से अवगत कराया जाय। उन्हें यह बताया जाय कि आपके द्वारा विद्यालय व्यवस्था में सहयोग करने से आपके यश में वृद्धि होगी तथा समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होगी। इस प्रकार के अभिप्रेरण से उनका विद्यालय में सहयोग प्राप्त किया जा सकता है। इसी प्रकार समुदाय के अन्य सक्रिय सदस्यों का सहयोग प्राप्त किया जा सकता है। इस कार्य से अधिगम प्रक्रिया में तीव्रता आयेगी।
ग्राम शिक्षा समितियों का अभिप्रेरण- ग्राम शिक्षा समितियों के अभिप्रेरण का प्रमुख दायित्व शिक्षक एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों का होता है। यदि ग्राम शिक्षा समिति उदासीन है तो इसके लिये मासिक बैठक में शिक्षक द्वारा ग्राम शिक्षा समिति के सदस्यों को बताया जाय कि वह विद्यालय तथा उसके छात्र एवं छात्राएं आपके हैं। अतः आपका दायित्व है कि विद्यालय एवं छात्रों की सम्पूर्ण व्यवस्था पर आप ध्यान दें। ग्राम शिक्षा समिति के उचित सुझावों को स्वीकार करना चाहिए तथा उसके सदस्यों को अपने विचार रखने का पूर्ण अवसर दिया जाना चाहिये। अच्छी ग्राम शिक्षा समिति को पुरस्कार भी प्रदान करना चाहिये। जिससे उसके सदस्यों में सामूहिक रूप से कार्य करने की भावना का विकास होगा तथा वह अपनी आदर्श भूमिका प्रस्तुत करेंगें।


शिक्षित एवं बेरोजगार युवक युवतियों का अभिप्रेरण- अनेक ग्रामों में शिक्षित युवक एवं युवतियाँ बेरोजगारी की स्थिति में होते हैं। ऐसे युवक एवं युवतियों को विद्यालयी व्यवस्था से सम्बद्ध करके छात्रों के अधिगम स्तर को तीव्र बनाया जा सकता है क्योंकि इसमें अनेक प्रतिभाओं से सम्पन्न युवक एवं युवतियाँ सम्मिलित होते हैं। उनकी इस प्रतिभा का उपयोग करके विद्यालयी व्यवस्था एवं छात्रों के अधिगम स्तर को तीव्र बनाया जा सकता है। विद्यालय कायक्रमों में ऐसे शिक्षित बेरोजगारों को पुरस्कार प्रदान किया जाए तथा समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा उनके कार्य की प्रशंसा एवं सराहना करनी चाहिए।
इस प्रकार विद्यालय व्यवस्था का आदर्श रूप स्थापित करने के लिए ग्राम शिक्षा समिति, समाज के प्रतिष्ठित एवं सक्रिय सदस्य एवं शिक्षित बेरोजगारों का सहयोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। तभी हम शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति कर सकेंगे। इस प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि विद्यालय व्यवस्था एवं अधिगम प्रक्रिया में सामाजिक अभिप्रेरण महत्वपूर्ण स्थान रखता है।


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