जीवन कौशल Notes 1 (From The SCERT Book)


शिक्षक का अर्थ

 विद्यालय के मानवीय संसाधनों में शिक्षक महत्वपूर्ण मानवीय संसाधन है। विद्यालय की छवि
सुधारने मे शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। शिक्षक शब्द शिक्ष- धातु से बना है जिसका अर्थ होता
है सीखना और सिखाना। एक शिक्षक स्वयं भी सीखता रहता है और छात्रो ं को भी सिखाता रहता है।
शिक्षका को एक दार्शनिक की भी संज्ञा दी जाती है। शिक्षक को प्रबन्धक भी माना जाता है। एक
शिक्षक का यह उत्तरदायित्व व कर्तव्य है कि उसे अध्ययनशील तथा तत्कालीन समय का बोध होना
चाहिए तभी वह छात्रों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है। कक्षा शिक्षण की भूमिका का निर्वाह
समुचित ढ ़ग से कर सकता है। एक शिक्षक को शिक्षण का भी सही ढ़ग से बोध होना चाहिए।
रविन्द्रनाथ टैगोर जी ने शिक्षक की व्यापक परिभाषा दी है-

"A teacher can never truly teach unless he is still learning himself. A lamp can never light another lamp unless it continues to burn itself own flame"
एक शिक्षक वास्तव में तभी शिक्षण कर सकता है जब वह स्वयं अध्ययनशील रहता है एक
जलता हुआ दीपक ही दूसरे दीपक को प्रज्वलित कर सकता है। रवीन्द्र नाथ टैगोर के अनुसार एक
टीचर जीवन भर छात्र ही रहता है। उसे अपने विषय की पूर्ण जानकारी रहती है। अंग्रेजी भाषा में टीचर
को इस प्रकार परिभाषित किया गया है-
T = Truthful 
E = Energetic 
A = Affectionate 
C = Co-operative 
H = Humble 
E = Efficient 
 R = Resourceful 
एक प्रभावशाली शिक्षक में इन गुणों का होना आवश्यक है।
डा0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने लिखा है कि- ‘‘समाज मे ं अध्यापक का स्थान अत्यन्त
महत्वपूपर्ण है। वह एक पीढ़ी से दूसरी पीढी को बौद्यिक परम्पराएं और तकनीकी कौशल पहुंचाने का
केन्द्र हैं। और सभ्यता के प्रकाश को प्रज्वलित रखने में सहायता देता है।’’ शिक्षा संस्कृति के हस्तांतरण
संरक्षण एवं संर्वधन का प्रमुख साधन है। अतः किसी भी देश की शिक्षा वहां की संस्कृति के संदर्भ में ही
समझी जा सकती है।
शिक्षका की विद्यालय में भूमिका
 शिक्षक विद्यालय संगठन का ह्दय माना जाता है। विद्यालय में पर्याप्त संख्या में विभिन्न विषया ें
एवं प्रवृत्तियों के दक्ष एवं सुयोग्य शिक्षकों का होना एक अनिवार्य आवश्यकता ह ै। श ैक्षिक कार्यक्रमों की
सफलता अध्यापक के व्यवहार, योग्यता एवं कार्यप्रणाली पर ही निर्भर करती है। वर्तमान समय म ें
अध्यापक का विद्यालय में प्रमुख स्थान माना जाता है। शैक्षिक और मनोवैज्ञानिक शोध ने यह सिद्ध कर
दिया है कि शिक्षक-छात्र अनुक्रिया मे ं शिक्षक की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। चूंकि शिक्षा का तात्पर्य

बालक के सर्वागीण विकास से है जिसके अन्तर्गत न केवल बालक का मानसिक विकास करना है।
वरन् उसके शारीरिक नैतिक, संवेगिक एवं सामाजिक विकास में भी योगदान देना है। शिक्षा की प्रक्रिया
में अध्यापक एक महत्वपूर्ण कड़ी है और वस्तुतः वही हमारी संस्कृति के भविष्य का संरक्षक है। कोठारी
कमीशन (1964-66) ने भी अध्यापकों को राष्ट्र निर्माता की संज्ञा दी है आशय यह है कि शिक्षक
सामान्य सामाजिक- व्यक्ति से अधिक चरित्रवान, उदार, सहिष्णु, दयालू तथा मर्यादित होता है।
शिक्षक के गुण- एक सफल शिक्षक के प्रमुख गुण निम्नलिखित ह ैं-
1. एक सफल अध्यापक छात्र प्रेमी होता है तथा वे विद्यार्थियो ं के विकास में रूचि ले कर उनकी
कठिनाईयों को हल करने में तत्पर रहता है।
2. अध्यापक का व्यक्तित्व प्रभावशाली होना चाहिए अर्थात् वह अपने सम्पर्क में आने वाले छात्रों एव ं
अन्य व्यक्तियों का आदर एव ं स्नेह प्राप्त करने में सक्षम हो।
3. अध्यापक शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ एवं चरित्रवान होना चाहिए।
4. अध्यापक का समाज के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोंण होना चाहिए। समाज के कार्यक्रमों में अध्यापक का े
समुचित सहयोग प्रदान करना चाहिए।
5. अध्यापक को मनोविज्ञान का व्यावहारिक ज्ञान आवश्यक है। जिससे कि वह बालकों की
विभिन्नताओं तथा रुचियों, अभिरुचियों, प्रेरणाओं, योग्यताओं एवं क्षमताओं को समझकर उचित
मार्गदर्शन करे।

6. अध्यापक अध्ययनशील होना चाहिए। शिक्षण के विषय एवं विधियों में नवीनतम परिवर्तनों से परिचित
होते रहने की जिज्ञासा अध्यापक में बनी रहनी चाहिए।
7. अध्यापक को अपने व्यवसाय के प्रति हीन भावना से ग्रसित नहीं होना चाहिए। उसे अपने व्यवसाय
में पूर्ण निष्ठा होनी चाहिए।
8. अध्यापक में सहनशीलता एवं सांवेगिक स्थिरता होनी चाहिए।
9. प्रशिक्षण प्राप्त अध्यापक शिक्षण विधियों, बाल मनोविज्ञान एवं समस्या समाधान में दक्ष हो सकता है
अतः अध्यापक को प्रशिक्षित होना चाहिए।
10. अध्यापक की रुचियां विविध होनी चाहिए। विशेषकर पाठ्य सद्गामी क्रियाओं तथा खेल-कूद में
अध्यापक को अपना उचित योगदान प्रदान करना चाहिए।
11 अध्यापक का दृष्टिकोण प्रयोगात्मक होना चाहिए।
12 अध्यापक में कल्पनाशक्ति तथा सृजनात्मकता होनी चाहिए।
12 अध्यापक को बदले हुए परिवेश के साथ समायोजन की क्षमता से युक्त होना चाहिए।

13 अध्यापक को सत्यवादी सहिष्णु तथा ईमानदार होना चाहिए। क्योंकि इन गुणों से युक्त अध्यापक
छा़त्रों को बहुत प्रिय होते है।
जीवन कौशल Notes 2
जीवन कौशल Notes 3

Share your views, Feedback with us. Feel free to write us or Contact us @7007709225,9044317714

No comments:

Post a Comment